सोनभद्र, मार्च 4 -- घोरावल, हिन्दुस्तान संवाद। स्थानीय क्षेत्र के कोहरथा गांव में श्रीरामलीला के पुष्प वाटिका का मंचन किया गया। तुलसीदास ने सीता और राम के पहले मिलन का वर्णन किया है। इस प्रसंग को रामलीला में भी दिखाया जाता है। इस प्रसंग में सीता की एक सखी राम और लक्ष्मण को देख लेती है और उनके सौंदर्य का वर्णन सीता से करती है। माता सीता यहां फूल तोड़ने के लिए आया करती थीं. यहीं पर जनकपुर जाते समय भगवान राम भी आए हुए थे. इस कारण से ही इस जगह का नाम पुष्प वाटिका हो पड़ गया. इस पुष्प वाटिका में ठाकुरजी की कुटिया आज भी है, जहां साक्षात भगवान विष्णु के विराजमान होने की मान्यता हैं। काव्य खंड हिन्दवी करत बतकही अनुज सन मन सिय रूप लोभान। मुख सरोज मकरंद छबि करइ मधुप इव पान॥ चितवति चकित चहूँ दिसि सीता। कहँ गए नृप किसोर मन चिंता॥ जहँ बिलाकि मृग सावक नय...