पीलीभीत, जून 4 -- भगवान श्रीराम की कृपा होती है, तभी राम कथा संभव होती है। राम कथा भक्ति व मुक्ति दोनों देने वाली है। राम कथा ही मनुष्य को मर्यादा में रहने की सीख देती है। कथाव्यास पं. अम्बरीश तिवारी ने श्रीरामकथा के पहले दिन प्रवचनों का अमृतपान कराते हुए कहा कि भगवान राम का भावपूर्वक स्मरण करने से जीव के दुख दूर हो जाते हैं। दशरथ ज्ञान तथा सीता भक्ति है, जहां भक्ति होती है, वहीं भगवान निवास करते हैं। कहा कि भगवान श्रीराम ने सदैव मर्यादा में रहते हुए कर्तव्य, धर्म व सत्य का पालन किया। उन्होंने किसी भी परिस्थिति में अपने धर्म का त्याग नहीं किया। मनुष्य को प्रभु श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रवाचक ने कहा कि सच्चे मन से भगवान का नाम सुमिरन करने वाले पर संकट नहीं आता। भक्ति में रमने वाला हर समय धर्म का कार्य करता है। ऐसे भक्तों पर ...