गढ़वा, अगस्त 13 -- श्रीबंशीधर नगर, प्रतिनिधि। प्रयागराज से पधारे कथावाचक जगदगुरू रामानुजाचार्य श्री मुक्तिनाथ स्वामीजी महाराज ने गोकर्ण और उनके भाई धुंधकारी का हृदयस्पर्शी प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कथा श्रवण मात्र से प्रेत योनि में भटक रही आत्मा को भी मुक्ति मिल जाती है। ठीक उसी तरह जिस तरह धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई। स्वामी जी श्रीराधावंशीधर मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के द्वितीय दिवस पर प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने गोकर्ण और धुंधकारी प्रसंग की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि धुंधकारी ने सांसारिक भोग विलास और पापकर्मों में जीवन नष्ट कर दिया था। परिणामस्वरूप अकाल मृत्यु के बाद वह प्रेत योनि में भटकने लगा और असहनीय यातनाएं भोगने लगा। भाई की पीड़ा देखकर महात्मा गोकर्ण ने उसे मुक्ति दिलान...