बुलंदशहर, जुलाई 16 -- ब्लॉक क्षेत्र के गांव खलसिया में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन कथा वाचक आचार्य युवराज महाराज ( गोवर्धन मथुरा) ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। प्रसंग सुनाते हुए आचार्य ने कहा कि यह पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। जब सती के विरह में भगवान शंकर की दशा दयनीय हो गई, सती ने भी संकल्प के अनुसार राजा हिमालय के घर पर्वतराज की पुत्री होने पर पार्वती के रुप में जन्म लिया। पार्वती जब बड़ी हुईं तो हिमालय को उनकी शादी की चिंता सताने लगी। एक दिन देवर्षि नारद हिमालय के महल पहुंचे और पार्वती को देखकर उन्हें भगवान शिव के योग्य बताया। तीन हजार सालों तक उन्...