बिजनौर, सितम्बर 12 -- ग्राम टपरौला में श्री राधा कृष्ण प्रचार समिति के तत्वावधान मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कथा व्यास ने कहा कि कन्या दान सबसे बड़ा दान है। कन्याओं को गृहस्थ आश्रम के संस्कार देना माता-पिता की जिम्मेदारी है। बृहस्पतिवार को श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास पंडित रविंद्र भारद्वाज संघर्ष जी महाराज ने कहा माता बहन ऑन को दीक्षित में आत्मनिर्भर किए बिना सनातन धर्म अधूरा है। लड़का हो या लड़की दोनों को गृहस्थ जीवन के संस्कार देने चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातनी आज निरन्तर कमजोर तथा जनसंख्या विहिन होते जा रहे हैं। श्री मद्भागवत कथा में व्यास जी ने कथा में श्री कृष्ण रुक्मणी विवाह संस्कार प्रसंग बड़े ही मार्मिक ढंग से श्रवण कराया। इस अवसर पर विनोद चौहान, मदन सिंह,लोकेंद्र,नव...