जमशेदपुर, जुलाई 28 -- बिष्टूपुर स्थित सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन रविवार को व्यासपीठ से भागवत भ्रमर आचार्य श्री मयंक जी महाराज ने रासलीला और रुक्मिणी विवाह के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि रासलीला भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच आध्यात्मिक प्रेम का प्रतीक है, जबकि रुक्मिणी विवाह भगवत प्रेम और पवित्र दांपत्य संबंध का आदर्श उदाहरण है। आचार्य ने कहा कि गोपियों ने भगवान कृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की थी। श्रीकृष्ण ने वचन दिया और शरद पूर्णिमा की रात यमुना तट पर महारास रचाया। बांसुरी की धुन सुनते ही गोपियां मोहविह्वल होकर श्रीकृष्ण के पास पहुंच गईं। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन में रासलीला हुई थी, जहां प्रत्येक गोपी के साथ श्रीकृष्ण ने अपना एक रूप प्रकट किया और दिव्...