कौशाम्बी, मार्च 9 -- नेवादा ब्लॉक के तरना गांव में आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास विद्याधर त्रिपाठी उर्फ मधुप महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का भावपूर्ण वर्णन किया। इसे सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। कथा व्यास ने बताया कि विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी रूपवती व लक्ष्मी स्वरूपा थीं। उनके पास जो लोग आते थे वो श्रीकृष्ण की बहुत प्रशंसा करते थे। इसलिए उन्होंने श्रीकृष्ण को अंत: मन से अपना पति मान लिया था। उनका भाई श्रीकृष्ण को अपना शत्रु मानता था। राजा भीष्मक रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाह रहे थे लेकिन, भाई ने ही इसका विरोध किया और विवाद शिशुपाल से तय कर दिया। जिसपर रुक्मिणी ने एक ब्राह्मण को पत्र देकर श्रीकृष्ण के पास भेजा। पत्र पढ़ते ही श्रीकृष्ण ब्राह्मण को रथ पर बैठा कर रुकमिणी को लेने पहुंच गए औ...