मुंगेर, अगस्त 9 -- मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। संन्यास पीठ में चल रहे श्री कृष्ण आराधना के दूसरे दिन शुक्रवार को स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीकृष्ण मधुरता की प्रतिमूर्ति हैं। उनके व्यक्तित्व का हर पक्ष, उनकी हर लीला, मधुरता से परिपूर्ण है। उनको समर्पित स्त्रोत मधुकाष्टकम् का यही सार है। उन्होंने आगे कहा कि श्रीकृष्ण को ह्रदय सम्राट कहना मात्र एक दार्शनिक वाक्य नहीं है, बल्कि यह एक गूढ़ और वास्तविक आध्यात्मिक तत्व को इंगित करता है। उन्होंने फिर उस प्रसंग को साझा किया जब श्रीकृष्ण के देहावसान के बाद अंतिम संस्कार किया गया, तो उनका ह्रदय शेष रहा और वहीं धड़कता ह्रदय पूरी के जगन्नाथ मंदिर के मुख्य विग्रह में आज भी विद्यमान है। स्वामी जी ने कहा कि भगवान का ह्रदय सदा मानवता के लिए धड़कता है। क्योंकि सभी मानव भगवान के संतान हैं। सच...
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