बदायूं, सितम्बर 17 -- नगर के ज्वाला प्रसाद जैन स्कूल में सिद्धपीठ श्र बालाजी धाम की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन कथावाचक जगदगुरु रामानुजाचार्य रामचंद्राचार्य महाराज ने गोवर्धन पूजा का महत्व समझाते हुए कहा कि देवताओं के राजा इंद्र का अहंकार भी भगवान के समक्ष नहीं चल सका। समय आने पर सभी का घमंड चूर हो जाता है। उन्होंने कहा कि जब बृजवासी इंद्र की पूजा करने की तैयारी कर रहे थे, तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका और इंद्र की जगह पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी। इसके बाद लोगों ने ऐसा ही किया। इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की। इससे नाराज इंद्र ने वहां मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। इससे बृजवासी काफी परेशान हो गए। तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया। इसके बाद सभी बृजवासी उसके नीचे आ गए। इसके बाद...