बागपत, जनवरी 28 -- आचार्य ज्ञेय सागर महाराज ने कहा कि श्रावक को मन एवं परिणामों की शुद्धि भी रखनी चाहिए। सोमवार को पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में आयोजित धर्मसभा में प्रवचन आचार्य ज्ञेय सागर महाराज ने आशीवर्चन किए। भगवान श्रीजी का अभिषेक एवं शान्तिधारा का अभिषेक एवं पूजा करने की विधि बताते हुए उन्होंने उससे होने वाले लाभों से भी अवगत कराया। कहा कि जिस प्रकार भगवान के अभिषेक के लिए श्रावक शरीर एवं वस्त्र शुद्धि रखता है, उसी प्रकार श्रावक को मन एवं परिणामों की शुद्धि भी रखनी चाहिए। प्रतिदिन पूजा, अभिषेक से होने वाले लाभों की जानकारी देते हुए बताया कि जो श्रावक नियमित अभिषेक एवं पूजन करता है, वह रोगमुक्त एवं भयमुक्त रहता है। उसका कोई भी कार्य कभी रूकता नहीं है। उस व्यक्ति की मान, प्रतिष्ठा एवं धन आदि में भी नियमित वृद्धि होती जाती है। शाम ...