अलीगढ़, सितम्बर 19 -- अलीगढ़, संवाददाता। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि श्राद्धपक्ष में पितरों का स्मरण और तर्पण इसलिए आवश्यक है क्योंकि हम किसी न किसी रूप में अपने पूर्वजों की अर्जित संपत्ति, नाम और संस्कारों से लाभान्वित होते हैं। ऐसे में हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम उनका स्मरण कर उनके कल्याण की कामना करें। कहा कि अमावस्या का दिन देवताओं की पूजा के लिए वर्जित है, लेकिन पितरों की पूजा इस दिन अनिवार्य मानी गई है। खासकर सर्वपितृ अमावस्या उस दिन के रूप में जानी जाती है जब जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो अथवा जिनका श्राद्ध किसी कारणवश पूरे पितृपक्ष में न हो पाया हो, उनका सामूहिक श्राद्ध व तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितृलोक से संपर्क की शक्ति विशेष रूप से प्रबल होती है और ...