वाराणसी, जून 16 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। सिंदूर जैसा दिखता है सिर्फ वही नहीं है। आध्यात्मिक दृष्टि से सिंदूर के बहुत अर्थ और भावार्थ हैं। सिंदूर का मतलब श्रद्धा होता है। सिंदूर का अर्थ समर्पण होता है। सिंदूर का अर्थ शरणागति और संन्यास भी होता है। सिंदूर साधुता का भी प्रतीक है। ये बातें कथावाचक संत मोरारी बापू ने कहीं। वह सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में मानस सिंदूर कथा के दूसरे दिन रविवार को प्रवचन कर रहे थे। बापू ने कहा कि एक स्त्री मांग में सिंदूर भरे जाते ही संपूर्ण हो जाती है। एक दृष्टि से कहा जा सकता है कि मांग का समाप्त हो जाना ही सिंदूर की प्राप्ति है। वहीं, देखा जाए तो आज के युग में सिंदूर मांग में भरते ही स्त्री की तरफ से मांग शुरू हो जाती है। इतना कह कहर उन्होंने श्रोताओं से पूछा क्यों होता है न ऐसा? लेकिन सिर्फ ऐसा ...
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