बांका, सितम्बर 23 -- बाराहाट, निज प्रतिनिधि। गोडधूवा देवी मंदिर का इतिहास तकरीबन डेढ़ सौ साल से अधिक पुराना है। यहां शारदीय नवरात्र के मौके पर प्रतिमा स्थापना की परंपरा की शुरुआत की कहानी भी काफ़ी रोचक है।उस समय देश में राजतंत्र था।उसी समय की बात है लक्ष्मीपुर स्टेट में आयोजित दुर्गा पूजा के दौरान वहां के राजा ठाकुर चददेव नारायण सिंह की आकस्मिक मौत महा सप्तमी के दिन हो गयी।राज दरबार में शोक छा गया।रानी कुसुम कुमारी का रो रो कर बुरा हाल था। स्थापित प्रतिमा की पूजा अब नहीं करने का फैसला लेते हुए।जब राजा ही नहीं रहे तो अब मां की पूजा क्यों करें।रानी ने सिपाहियों को आदेश दिया गया कि माता की प्रतिमा को इसी वक्त नदी में विसर्जित किया जाय। सिपाहियों द्वारा रानी के आदेश पर ऐसा ही किया। मां की प्रतिमा बहते बहते चादन नदी में वहां से 30किलोमीटर दूर ...