अयोध्या, मार्च 10 -- रुदौली,संवाददाता। हमारे धर्मग्रंथ आस्था एवं श्रद्धा के प्रतीक हैं। धर्म के मार्ग पर चलने वाला कभी दु:खी नहीं हो सकता। प्रभु के प्रति समर्पण के बिना भक्ति संभव नहीं है। श्रद्धा और विश्वास के बिना की गई भक्ति सार्थक नहीं होगी। ये बात मां कामाख्या धाम महोत्सव के पंचम दिवस आयोजित रामकथा के दौरान कथा प्रवर राघव चरण अनुरागी हरिओम तिवारी ने श्रोताओं को बताई। श्री तिवारी ने गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के अरण्यकाण्ड में रचित शबरी का प्रसंग को बताते हुए कहा शबरी भगवान राम के प्रति अनन्य भक्ति तथा भक्ति के ऊंचे सोपान का प्रतीक है। जीवात्मा,परमात्मा के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन कैसे करे,ये हमें शबरी से सीखने को मिलता है। माता शबरी का निश्छल,निर्दोष,सरलचित्त और निष्कपट व्यवहार साक्षात प्रभु को भी अपने पास बुला...