जमुई, जुलाई 7 -- जमुई। नगर प्रतिनिधि सावन मास की शुरुआत से पहले हरिशयनी एकादशी रविवार को मनाई गई। इसे देवशयनी या देवपद्मनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर योगनिद्रा में चले गए। मान्यता है कि सृष्टि की बागडोर भगवान शिव के हाथों में सौंप दी जाती है। आचार्य पंडित मनोहर आचार्य ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है, जो तप, व्रत, संयम और साधना का काल होता है। यह काल कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी तक चलता है। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं। मंदिरों में होंगे विशेष पूजन, भजन-कीर्तन और जाप हरिशयनी एकादशी के अवसर पर जिले के प्रमुख मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्...
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