पाकुड़, सितम्बर 7 -- महेशपुर, एक संवाददाता। राजबाड़ी परिसर में अधिष्ठित माता सिंहवाहिनी का मंदिर श्रद्धालुओं के बीच असीम श्रद्धा व अटूट आस्था का केंद्र बना हुआ है। माता सिंहवाहिनी की मान्यता महेशपुर राजवंश की कुलदेवी के रुप में रही है। राजाओं के शासनकाल के समय से आज तक यहां मां दुर्गा की पूजा-अर्चना अनवरत होती चली आ रही है। समय बीतने के साथ राजाओं का राज-पाट तो खत्म हो गया। पर माता सिंहवाहिनी के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा दिनों बढ़ती गई। शायद यही वजह है कि राजवंश के समय सुल्तानाबाद के नाम से जाना जाने वाला आज का महेशपुर सिंहवाहिनी की माटी के नाम से जाना जाता है। ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार देवी सिंहवाहिनी की प्राण प्रतिष्ठा इस राजवंश के राजा गर्जन सिंह के द्वारा बंगला 1160 साल में अपने राज्य की राजधानी देवीनगर को स्थान परिवर्तन कर...