वाराणसी, अगस्त 12 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। सनातन धर्म में भाद्र पद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी को निशितव्यापिनी तिथि अर्थात, भाद्र पद कृष्ण अष्टमी तथा रोहिणी नक्षत्र दोनों नहीं मिल रहा है। ऐसा योग कई वर्षों बाद बना है। धर्मसिन्धु में दिए गए निर्णय के अनुसार, शैव एवं वैष्णव दोनों की श्रीकृष्णजन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाना शास्त्र सम्मत होगा। धर्म सिंधु में कहा गया है कि 'भाद्र कृष्ण अष्टमी निशितव्यापिनी ग्राह्या। श्रीकृष्णजन्माष्टमी के लिए भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का निशितव्यापिनी होना चाहिए। यदि तिथि निशितव्यापिनी नहीं मिल रही हो तो उस दशा में धर्मसिन्धुकार ने कहा है कि 'दिन द्वै निशितव्यापत्य भावे परयवाअष्टमी ग्राह्या। अर्थात, यदि दो दिन अष्टमी तिथि मिल रही हो तो दूसरे दि...
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