मऊ, फरवरी 24 -- मऊ। आपके यहां बेटी या बेटा पैदा हुआ है तो उसकी देखभाल के लिए अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। अब आशाएं नवजात और उनकी मां की देखभाल करेंगी। जन्म से लेकर 42 दिनों तक नवजात की देखभाल का जिम्मा संभालने वाली आशाएं घर-घर जाएंगी। नवजातों की देखभाल के लिए आशाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जन्म के बाद होने वाले संक्रमण के चलते कई बार नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है। जनपद की बात करें तो पैदा होने वाले एक हजार बच्चों में से करीब पांच से दस नवजात बच्चों की जन्म के कुछ दिनों के भीतर मौत हो जाती है। इसके अलावा देखरेख के अभाव में कई बच्चे डायरिया, निमोनिया, पीलिया, बुखार जैसी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। परिजनों को इन बीमारियों का पता तब चलता है जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। ऐसे में शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास...