मुरादाबाद, फरवरी 23 -- प्राचीन श्रीद्वादश ज्योतिर्लिंग महादेव मंदिर अगवानपुर में आयोजित रविवार को श्रीशिव महापुराण कथा में आचार्य श्रद्धेय धीरशान्त अर्द्धमौनी ने बताया कि शिव महापुराण की उत्पत्ति साक्षात महादेव शिव के मुखारविंद से हुई है। विधेश्वर संहिता और रुद्र संहिता का वर्णन करते हुए शिवजी के दिव्य गुणों का बखान किया। हम मनुष्य हैं इसलिए धर्म की साधना के साधनों में शरीर सर्वप्रथम साधन है। शरीर के बिना धर्म की साधना हो ही नहीं सकती। हमारे शास्त्रों ने मनुष्य के लिए चार पुरुषार्थ बतलाए हैं। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इनमें से बीच के दो-अर्थ और काम तो अधिकांश में प्रारब्ध के अधीन हैं क्योंकि शरीर सुख-दुःख का भोग भोगने के लिए उत्पन्न होता है और इस कारण वह भोग जन्म के साथ ही निर्मित हुआ होता है। श्रीशंकराचार्य इस संबंध में कहते हैं। यह शरीर...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.