संभल, मई 26 -- परिषदीय स्कूलों में शिक्षामित्र अहम किरदार निभा रहे हैं। वर्ष 1999 से ये लोग शासन-प्रशासन के दिए हर आदेश का पालन भी कर रहे हैं। स्कूलों में पढ़ाने के साथ ही चुनाव से जुड़े विभिन्न कार्य भी कर रहे। पल्स पोलियो, बाल गणना, जनगणना, पशु गणना आदि सरकारी अभियानों को सफल बनाने में मेहनत भी कर रहे हैं। सभी कार्यों को सफलतापूर्वक करने के बाद भी शिक्षामित्रों की दुश्वारियों का खात्मा नहीं हो रहा है। सात वर्ष से मानदेय बढ़ा नहीं है। जो, मानदेव मिलता है, उसमें गुजारा नहीं होता। अतिरिक्त कार्यों का भत्ता भी नहीं मिलता है। शिक्षा मित्र अपनी दिक्कतें बताते हुए मायूसी के साथ यह सवाल उठाते हैं कि आखिर कब बदलेगी हमारी किस्मत? वर्ष 1999 में शिक्षामित्र योजना की प्रदेश में शुरूआत हुई थी। अपनी नियुक्ति से लेकर आज तक शिक्षामित्रों का जीवन संघर्ष में...