बरेली, सितम्बर 29 -- दरगाह शाहदाना वली और उर्स ए सकलैनी में रविवार को कुल की रस्म अदा की गई। अकीदतमंदों ने चादरपोशी व गुलपोशी के साथ ही खुशहाली की दुआ मांगी। कुल की रस्म में हिन्दुस्तान की तरक्की, खुशहाली के लिए दुआ की। कुल से पहले उलेमा ने तकरीर की। नेक रास्ते पर चलो गरीबों की मदद करो और बुराइयों से बचो। परेशानियां खुद ही खत्म हो जाएगी। शहदाना वली दरगाह के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद खां ने कहा की हिंदुस्तान सूफी संतों की सरजमीं है। सूफी परंपरा हिंदुस्तान को एक सूत्र में पिरोने का काम कर रही है। खानकाहो और दरगाहों पर सभी धर्मों के लोग अकीदत के साथ आते हैं जो कोमी एकता की एक मिसाल है। इसके बाद कुल की रस्म में फनकारों ने अपने कलामो में सुफियान कलाम पेश कर बुजुर्गों की अकीदत का इजहार किया। खानकाहे तहसीनिया के सज्जादानशीन मौलाना हस्सन रजा खां ने क...