प्रतापगढ़ - कुंडा, अप्रैल 27 -- कुंडा, संवाददाता। भारत में धर्म की रक्षा के लिए अब केवल भाव से ही काम नहीं चलेगा। उसके लिए हमारे सनातन संस्कृति को मानने वाले सनातनियों को शस्त्र की शिक्षा भी देने की जरूरत है। यह बातें नगर पंचायत के शिवपुरम् में चल रहे श्रीमदभागवत कथा में आचार्य देवव्रत ने कही। उन्होंने पहलगाम में सैलानियों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने उपदेश दिया है। धर्म की रक्षा के लिए अगर शस्त्र उठना पड़े तो वह धर्म के अनुरुप है। उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की कथा सुनाई। कहा भगवान चाहते तो राक्षसों का वध गोलोक में बैठकर भी कर सकते थे। शिक्षा तभी सार्थक है जब संस्कार और धर्म बचा रहे। भारत की पहचान संस्कृत और संस्कृति से ही होती है। यह इक्कीसवीं सदी का भारत है। इसम...
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