गंगापार, अक्टूबर 10 -- शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के लिए शुक्रवार को श्री लाल बहादुर शास्त्री स्मारक राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय हंडिया में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्य प्रो.केदार नाथ ने बताया कि उम्र के बढ़ने के साथ-साथ मनुष्य में रज और तम के आवरण का प्रभाव दिखाई देने लगता है। इन रज और तम गुणों के कारण काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्र्या, मान, मद, शोक, चिन्ता, उद्वेग एवं भय आदि विकार उत्पन्न होनें लगते हैं जिससे हमारा सात्विक मन अक्रान्त होता है और वह विकृत होने लगता है। जिससे शारीरिक दोष-वात, पित्त, कफ का भी दूषण होने लगता है। इससे अनेक जटिल मनः रोग उत्पन्न होते हैं। सत्वावजय चिकित्सा को ही साइको थैरेपी कहा जाता है। सत्व गुण प्रधान मन को स्थिर रखने के लिए रज और तम के आवरण को हटा...