नई दिल्ली, सितम्बर 14 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि दो बालिगों का लंबे समय तक आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखने के बाद शादी से इनकार करना इसे संज्ञेय अपराध नहीं बनाता। एक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने कहा कि यदि दो वयस्क और स्वस्थ दिमाग के व्यक्ति कई वर्षों तक साथ रहते हैं तो यह माना जाएगा कि उन्होंने रिश्ते के परिणामों को पूरी तरह से जानते हुए स्वेच्छा से संबंध बनाए हैं। अदालत ने कहा कि ऐसे में यह आरोप स्वीकार करने योग्य नहीं है कि शादी के वादे के कारण संबंध बनाए गए थे, खासकर तब जब ऐसा कोई आरोप नहीं है कि अगर शादी का वादा नहीं किया गया होता तो यह संबंध नहीं बनाया गया होता। यह भी पढ़ें- बाबा बागेश्वर से न मिलवाने पर आयोजक पर नाराज हुआ पड़ोसी परिवार, जानलेवा हमल...