नई दिल्ली, दिसम्बर 23 -- शादी सिर्फ दो लोगों का रिश्ता नहीं होती, बल्कि दो परिवारों और उनकी सोच का भी मेल होती है। ऐसे में कई बार अनजाने में पत्नी पर पारिवारिक अपेक्षाओं, सलाहों और दबावों का बोझ आ जाता है। वह नए रिश्तों को निभाने की कोशिश में अपनी भावनाओं को दबा लेती है जिससे मानसिक तनाव, चुप्पी और अंदरूनी थकान बढ़ने लगती है। इस स्थिति में पति की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर पति सही समय पर पत्नी का साथ दे, उसकी भावनाओं को समझे और परिवार के बीच संतुलन बनाए, तो बहुत-सा तनाव खुद-ब-खुद कम हो सकता है। पत्नी को सुरक्षित महसूस कराने का मतलब परिवार से दूरी बनाना नहीं, बल्कि सम्मानजनक सीमाएं तय करना और भावनात्मक समर्थन देना है। जब पत्नी को यह भरोसा होता है कि उसका जीवनसाथी उसके साथ खड़ा है, तब वह हर रिश्ते को ज्यादा सुकून और आत्मविश्वास ...