लखनऊ, अगस्त 6 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया है कि विवाहित महिला से उसके प्रेमी की ओर से कथित तौर पर वादा करने के बावजूद विवाह न करना कोई अपराध नहीं है। विशेष तौर पर तब जबकि उस स्त्री का अपने पति के साथ विवाह विच्छेद भी नहीं हुआ है। न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ सत्र अदालत के उस आदेश को विधिपूर्ण करार दिया है जिसमें अदालत ने अभियुक्त को दुराचार व भ्रूण हत्या के आरोप से उन्मोचित कर दिया था। यह निर्णय न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने पीड़िता की याचिका पर पारित किया। न्यायालय ने पाया कि नवंबर 2023 में पीड़िता की ओर से लिखाई गई एफआईआर में कहा गया था कि सात साल पूर्व पीड़िता का अभियुक्त से प्रेम हुआ था। इस दौरान दोनों के बीच बने संबंधों से पीड़िता गर्भवती भी हुई लेकिन अभियुक्त ने गर्भपात करा दिया। पीड़...