रांची, जून 27 -- रांची, प्रमुख संवाददाता। मुहर्रम का चांद नजर आने के बाद शुक्रवार को अकीदतमंद तैयारी में जुट गए। वहीं, अंजुमन-ए-जाफरिया की ओर से दस दीनी मजलिसे जिक्रे शहीदाने कर्बला की शुरुआत हुई। मजलिस को संबोधित करते हुए जाफरिया मस्जिद के इमाम व खतीब मौलाना तहजीबुल हसन रिजवी ने इस्लाम धर्म से आस्था रखने वालों को बताया कि शहादत हुसैन से इस्लाम को जिंदगी मिली। अगर इमामे हुसैन ने अपने पूरे घर की कुर्बानी कर्बला में नहीं दी होती तो आज इस्लाम का नाम लेने वाला कोई न होता। कहा, मुहर्रम इसलिए मनाओ, जिससे इस्लाम पहचाना जाए। इस्लाम सिर्फ नमाज से नहीं, बल्कि अच्छे अखलाक से पहचाना जाता है। नमाज को जिसने बचाया उसका नाम हुसैन है। पहली मजलिस अजहर हुसैन के पुत्र सैयद मेहदी इमाम एवं यावर हुसैन के पुत्र एहतेशाम के द्वारा की गई। इस मौके पर डॉ शमीम हैदर, ज...