मुजफ्फरपुर, अक्टूबर 7 -- मुजफ्फरपुर। साढ़े चार दशक पहले जब मुजफ्फरपुर नगर निगम बना, उसके बाद शहर में दर्जन भर सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया। आज नगर निगम की आबादी और क्षेत्रफल जिस हिसाब से बढ़ी है, उसकी अपेक्षा सुविधाएं कम हैं। हाल यह है कि पुराने शौचालय जर्जर हो चुके हैं और स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हाल में जो दो दर्जन नये बायो टॉयलेट बनाए गए, वे चालू ही नहीं हुए। अब तो इनमें से अधिकतर के पास इतनी गंदगी है कि ये उपयोग लायक भी नहीं रहे। बाजार में खरीदारी करने आए लोग जब शौचालय जैसी आधारभूत सुविधाओं के अभाव में परेशानियों से जूझ रहे हों तो जिम्मेदारों की उदासीनता पर सवाल उठना लाजिमी है। यह कहना है सोमवार को हिन्दुस्तान कार्यालय में आयोजित संवाद में जुटे शहर के बुद्धिजिवियों का। उन्होंने दृढ इच्छाशक्ति से इस दिशा में सार्थक कदम उठ...