कुशीनगर, मार्च 26 -- कुशीनगर। निज संवाददाता प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता के सपने पर शहर के जिम्मेदार पानी फेरते नजर आ रहे हैं। शहर के बाजारों तक जरूरत के अनुसार नहीं तो सार्वजनिक शौचालय है और न ही स्वच्छता को गंभीरता से लिया जा रहा है। हालांकि दावे तो बड़े-बड़े किए जा रहे हैं, पर हकीकत कुछ और ही है। शहर में हजारों दुकानें हैं, जिन पर रोजाना खरीदारी के लिए हजारों लोग दूर दराज के गांवों से पहुंचते हैं। शहरवासी ही नहीं यहां बाजार में आने वाले सैकड़ों लोगों को सुलभ शौचालय तक के लिए तरसना पड़ रहा है। हालत ये है कि मेन बाजार, छावनी, सुभाष चौक से बावली तक एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। दुकानदारों को शौचालय का प्रयोग करने के लिए या तो किसी के घर में जाना पड़ता है या फिर कहीं इधर-उधर गलियों में ही जाना पड़ता है। पडरौना शहर में आये दिन दूर दराज गांवों ...