बगहा, अगस्त 20 -- पछतावे की धुंधली सी चादर लेकर लड़ रहा हूं जिंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई, जब बेरोजगारी के ताने सहा तो समझ में आई पुस्तकालय में जाकर क्यों नहीं की पढ़ाई। यह पंक्ति बताती है कि युवाओं के जीवन में पुस्तकालय का क्या महत्व है। इन सबके बावजूद लाखों की आबादी, तीन विधानसभा क्षेत्र, सात प्रखंड वाले बगहा मुख्यालय में एक भी पुस्तकालय नहीं है, जहां जाकर बच्चे पढ़ सके। शांत माहौल में पुस्तकों के बीच अपना कुछ समय व्यतीत कर सके। इस कारण युवक-युवतियां अपनी प्रतियोगी तैयारियों को सही धार समय से नहीं दे पाते हैं और समय के साथ उनकी प्रतिभा कुंद होती चली जाती है। वैसे तो बगहा नगर परिषद क्षेत्र में दो पुस्तकालय है। पहला राहुल सांकृत्यायन के नाम पर खोला गया राहुल पुस्तकालय। परिकल्पना बड़ी थी जब इसके श्री शुक्ल के द्वारा खोला गया, पुस्तके आयी, भवन बना,पर...
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