लखनऊ, फरवरी 16 -- समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि 'मायण महोत्सव कार्यक्रम मां की उपयोगिता को दर्शाता है। मां कोई एक शब्द नहीं है। मां निःस्वार्थ प्रेम, त्याग, प्रेरणा और क्षमा का प्रतीक होती है। वास्तव में वह इस धरा पर भगवान का निकटतम प्रतिबिंब यदि कोई है तो वह माता के अलावा कोई और नहीं हो सकता है। मां पूरा संसार है। मां अपने बच्चों में संस्कारों का भरने का काम करती है। मां का कर्ज कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में नहीं उतार सकता है। हर किसी के हृदय में मां का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए। इटौंजा के गदेला गांव में रविवार में मायण महोत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि मंत्री असीम अरुण ने किया। उन्होंने कहा कि राजस्थानी बोली मायण का अर्थ मां होता है। यह कार्यक्रम का मां के जीवन की याद दिलाता है। इसमें गांव और शहर की संस्कृति की झलक दिखती है। दोनों...
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