गोरखपुर, दिसम्बर 8 -- गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। बदल रही जीवनशैली, तनाव और उच्च कैलोरी वाले भोजन के कारण गर्भावस्था में गेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस (जीडीएम) बीमारी तेजी से बढ़ रही है। शहरी क्षेत्र में इस बीमारी का असर गर्भवतियों पर 14 से 18 फीसदी है। गर्भावस्था में मधुमेह की वजह से मां और बच्चे को प्री-एक्लेम्पसिया, सीजेरियन सेक्शन और समय से पूर्व प्रसव हो रहे हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए एम्स ने गर्भावस्था की पहली तिमाही में ही जीडीएम की भविष्यवाणी (प्रिडक्शन) को लेकर शोध शुरू किया है। इसमें एम्स के साथ बीआरडी और आरएमआरसी को भी शामिल किया गया है। शोध में शामिल एम्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. शिखा सेठ ने बताया कि महिलाओं में प्रसव के बाद जीडीएम बीमारी सामान्य हो जाती है, लेकिन भविष्य में शुगर का खतरा बना रहता है। कई बार शुगर...