साहिबगंज, अक्टूबर 5 -- साहिबगंज। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है । उसकी किरणें धरती पर अमृत बरसाती हैं। यह रात धार्मिक, आध्यात्मिक व स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद खास है। इसी वजह से भारतीय सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमाओं में श्रेष्ठ माना गया है। यह वो रात है जब चंद्रमा अपनी पूर्ण शक्ति, सौंदर्य व सोलह कलाओं से युक्त होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है। इस साल शरद पूर्णिमा छह अक्टूबर को है। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। 'कोजागरी' शब्द का अर्थ 'को जागर्ति ' यानी 'कौन जाग रहा है।' मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं । हर घर के दरवाजे पर जाकर यह देखती हैं कि कौन-कौन भक्त जागरण कर रहा है। जो भक्त जागरण कर मां लक्ष्...