लखनऊ, जनवरी 28 -- सुलतानपुर । खैराबाद इमामबारगाह बेगम हुसैन अकबर में शब-ए मेराज के मौके पर महफिल का आयोजन किया गया। सोमवार रात आयोजित इस महफिल में स्थानीय और बाहर से आए शायरों ने अपनी शायरी से समां बांधा। विशेष रूप से सागर बनारसी का शेर "हर एक तमाचा रूखे इस्लाम पर लगता, गर आगे बढाती नहीं रुखसार सकीना ने श्रोताओं की आंखें नम कर दीं। बाराबंकी के मौलाना सुहैल के संचालन में हुए कार्यक्रम में मौलाना बबर अली खां ने मेराज की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हजरत मोहम्मद मुस्तफा का मेराज का सफर काबे से मस्जिद-ए अक्सा तक हुआ था, जहां उन्हें हजरत अली की वेलायत का ऐलान करने और हजरत फात्मा के नूर के लिए खुदा ने बुलाया था। इसी पवित्र यात्रा की याद में रजब माह की 27 तारीख को पूरा इस्लामी जगत शब-ए मेराज मनाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों में नज्...
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