मधेपुरा, फरवरी 13 -- उदाकिशुनगंज एक प्रतिनिधि। शब-ए-बारात इस्लाम मजहब की 4 सबसे मुकद्दस रातों में से एक है। शब ए बारात को लेकर मस्जिदों, खानकाहों और कब्रिस्तानों में दुआए होती है। लोग कब्रिस्तान में जाकर रिश्तेदारो और अजीजों की कब्रों पर फातेहा पढ़ते हैं। इस रात में फरिश्ते दुनिया के सभी बंदों द्वारा साल भर में किए गए कामों का लेखा-जोखा अल्लाह के सामने पेश करते हैं। जिस पर अल्लाह अपनी कुदरत से फैसले फरमाता है और बंदों को अपनी नेमतों और रहमतों से नवाजता है। इस रात को अल्लाह की इबादत कर गुनाहों की तौबा की जाती है।शब ए बरात को लेकर क्षेत्र के क़ब्रिस्तानों में साफ सफाई के साथ बेहतर रोशनी के प्रबंध किए गए। जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने एकत्रित होकर अपने दिवंगत परिजनों के आत्मा की शांति के लिए दुआ करते है। जहां लोगों द्वारा खुदा...