पूर्णिया, फरवरी 27 -- बैसा-अमौर, एक संवाददाता।बैसा व अमौर प्रखंड क्षेत्र में मुस्लिम समाज के लोगों ने शब-ए-बारात का पर्व अकीदत के साथ मनाया। लोगों ने क्षेत्र के विभिन्न मस्जिदों, ईदगाहों सहित कब्रिस्तानों में पहुँचकर चिरागां किया। दुनिया से रुखसत हो चुके लोगों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर अल्लाह से उनकी मगफिरत के लिए दुआएं कीं। मस्जिदों और घरों में तड़के तक इबादत का सिलसिला चलता रहा। बच्चों ने आतिशबाजी से इस मुबारक रात की खुशी मनाई। मुफ्ती मासूम आलम ने कहा कि इंसानी वजूद का हकीकी सबब अल्लाह है तो जाहिरी सबब वालिदेन हैं। औलाद पर वालिदेन की खिदमत फर्ज है। वालिदेन की नाफरमानी और शिर्क ही सबसे बड़ा गुनाह है। शब-ए-बारात की रात सभी गुनाहों की तौबा करने की रात है। उन्होंने कहा कि मुशरिक, अदावत, तकब्बुर और शराब पीने के अलावा वालिदेन की नाफरमानी करने वा...