मिर्जापुर, फरवरी 14 -- मिर्जापुर/चुनार, संवाददाता। इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की पंद्रहवीं तारीख को नगर में शबे बरात अकीदत और इबादत के साथ मनाई गई। इस मौके पर सभी मस्जिदों, मजारों और मुस्लिम बहुल इलाकों की गलियों व सड़कों को झालरों और रोशनी से खूबसूरती से सजाया गया। मौलाना नजम अली ने बताया कि शबे बरात का शाब्दिक अर्थ है 'बरी होने की रात' यानी गुनाहों और बुराइयों से छुटकारा पाने की रात। गुरुवार की पूरी रात बुजुर्ग, नौजवान और बच्चे अल्लाह की बारगाह में मगफिरत (माफी) की दुआ मांगते रहे। मस्जिदों में इबादत का सिलसिला जारी रहा। वहीं घरों में महिलाओं ने भी विशेष नमाजें अदा कीं। मुस्लिम बंधुओं ने कुरान की तिलावत, जिक्र और दुआओं में पूरी रात गुजारी। कब्रिस्तानों में जाकर अपने मरहूम बुजुर्गों की कब्रों पर फातिहा पढ़ा और उनके लिए मगफिरत क...