वाराणसी, अगस्त 20 -- शनि ग्रह को ज्योतिष में वात (वायु) प्रकृति का माना जाता है। इसका संबंध शरीर में वात दोष से है। जब कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होता है, तब वात रोगों का कारण बनता है। शनि के कारण ही श्वसन तंत्र प्रभावित होता है और लोग अस्थमा की चपेट में लोग आते हैं। मंगल ग्रह पित्त का कारक है। उसकी प्रतिकूलता किडनी रोग का कारण बनती है। यह जानकारी गुवाहाटी के गीता मिशन के अध्यक्ष मणि कश्यप ने मंगलवार को दी। वह बीएचयू के केएन उडुप्पा सभागार में आयोजित 'आयुर्जोतिष - 2025' कार्यक्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिसका जन्म मकर राशि (माघ) में होता है, यदि उस पर चंद्रमा और शनि का प्रकोप हो तो भी अस्थमा की समस्या होती है। दिल्ली के एचएस रावत ने कहा कि बिना ज्योतिष के आयुर्वेद अधूरा है। चंद्रमा और राहु के असंतुलन से जातक की कुं...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.