नई दिल्ली, अक्टूबर 3 -- रामचरितमानस के सुंदरकांड में हनुमान जी से जुड़ी कई बाते बताई गई हैं। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। हनुमान जी के आराध्य भगवान श्रीराम हैं। कहा भी गया है कि 'यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि। वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥ इसका अर्थ है कि कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं। इसलिए हनुमान जी की पूजा के दौरान भगवान राम की भी पूजा बहुत जरूरी है। यहां सुंदरकांड के कुछ दोहों को बता रहे हैं, जिनसे हनुमान जी की शक्ति और बुद्धि के बारे में पता चलता है। हनुमान जी की विशेष कृपा पाने के लिए हमें मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुं बल बुद...