प्रयागराज, अगस्त 26 -- प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेलवे के एक मृतक कर्मचारी के नेत्रहीन पुत्र के पारिवारिक पेंशन दावे पर पुनर्विचार का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि मात्र विवाहित होने के कारण शत प्रतिशत दिव्यांग पुत्र को पारिवारिक पेंशन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण इलाहाबाद ने याची की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसे पारिवारिक पेंशन के लिए अयोग्य ठहराया गया था। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के नियम 54 के उप-नियम (6) के स्पष्टीकरण 1 का हवाला देते हुए कहा कि स्पष्टीकरण 1 स्पष्ट करता है कि विवाहित पुत्र, (दिव्यांग पुत्र को छोड़कर) पारिवारिक पेंशन के लिए अपात्र हो जाएगा। इसलिए याची की मात...