नई दिल्ली, सितम्बर 6 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कोई व्हिसलब्लोअर केवल यह आरोप लगाकर ट्रांसफर से परमानेंट छूट का दावा नहीं कर सकता कि यह कदम अफसरों द्वारा बदले की कार्रवाई है। जस्टिस सी. हरिशंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को यह फैसला सुनाया। सीआरपीएफ के जवान ने 17 जुलाई को नोएडा से मणिपुर की 87वीं बटालियन में अपने ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर की थी। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, उस व्यक्ति ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि ट्रांसफर ऑर्डर दुर्भावना से प्रेरित था और एक आंतरिक व्हिसलब्लोअर के रूप में उसकी भूमिका का बदला लेने के लिए था। उसने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने उसे बार-बार निशाना बनाया, निराधा...
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