लखीसराय, अक्टूबर 27 -- चानन, निज संवाददाता। लोकआस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन रविवार को छठव्रतियों ने सिद्धयोग व रवियोग के युग्म संयोग में खरना का प्रसाद ग्रहण किया और 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लिया। रोटी, खीर, अरवा चावल से बना अरमनिया आदि का प्रसाद बनाकर पहले भगवान भाष्कार को भोग लगाया, फिर व्रतियों व परिजन ने खाए। तीसरे दिन सोमवार को व्रति अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे। मंगलवार को उदीयमान सूर्य के अर्घ्य अर्पित के बाद व्रती हवन और पारण करेंगी। इसके साथ ही चार दिवसीय महापर्व का समापन हो जाएगा। खरना को लेकर रविवार की सुबह से ही किऊल नदी सहित अन्य घाटों पर व्रतियों ने डूबकी लगाई। इसके बाद अपने साथ खरना के प्रसाद बनाने के लिए जल लाया। मान्यता है कि गंगाजल को शुद्धता और पवित्रता के लिए छठ व्रती प्रयोग करते हैं। छठ का महाप...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.