शामली, नवम्बर 30 -- शामली। शहर के जैन धर्मशाला में आयोजित धर्मसभा में आचार्य श्री नयन सागर मुनिराज ने अपने मंगल प्रवचन में सिद्धांत और व्यवस्थाओं के मूलभूत अंतर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सिद्धांत शाश्वत होते हैं, कभी नहीं बदलते, जबकि व्यवस्थाएं समय, परिस्थिति और युग के अनुसार बदलती रहती हैं। आचार्य श्री ने अहिंसा को एक अपरिवर्तनीय सिद्धांत बताते हुए कहा कि चाहे समय कितना भी बदल जाए, अहिंसा का महत्व सदा समान रहता है। मौसम के बदलने, समाज की व्यवस्थाओं में परिवर्तन और जीवन की परिस्थितियों के उदाहरण देकर उन्होंने स्पष्ट किया कि व्यवस्थाओं का बदलना प्राकृतिक है, परंतु सिद्धांत स्थायी रहते हैं। प्रवचन में जिनेंद्र शब्द की व्याख्या करते हुए मुनिराज ने कहा कि यह किसी व्यक्ति का नाम नहीं, बल्कि उन आत्माओं का वर्णन है जिन्होंने इंद्रियों और क...