सीवान, सितम्बर 5 -- सीवान, हिप्र। भारत में अंग्रेजों के आगमन के साथ पाश्चात्य शिक्षा का आविर्भाव हुआ। नए अंग्रेजी स्कूल और कॉलेज खुल गए। प्राचीन काल और मध्य काल तक गुरू और शिष्य की परंपरा आदर्श थी। लोभ रहित होकर गुरू अपने शिष्य को शिक्षा का दान करते थे। पाश्चात्य शिक्षा के आगमन के साथ यंत्रिकीकरण तथा व्यसायीकरण की शुरूआत हुई। गुरू के जगह पर शिक्षा देने वाले को शिक्षक कहा गया। जवाहर नवोदय विद्यालय के शिक्षक अर्जुन प्रसाद सिंह ने कहा कि पश्चात्य शिक्षा के आने के बाद से परंपरागत मूल्य खत्म होते गए। शिक्षक के नाम पर ऐसे लोग इस पेशे में आए। जिन्होंने इस पेशे की परंपरा का निर्वाह नहीं किया। दोनों पक्षों शिक्षक तथा शिक्षार्थी में समान रूप से गिरावट देखी गई। उतर आधुनिक युग में तो सारी सीमाएं टूट गई। शिक्षा व्यवसाय का रूप ले लिया। कृष्ण तथा सुदामा...