उरई, दिसम्बर 27 -- जालौन, संवाददाता व्यक्ति का बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया गया है। यह बात अक्षदा ग्रीन सिटी पर आयोजित श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास अंकित शास्त्री ने कही। अक्षदा ग्रीन सिटी पर आयोजित साप्ताहिक श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास अंकित शास्त्री ने श्रोताओं को बताया कि राजा उत्तानपाद के वंश में ध्रुव हुए हैं। ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उनकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बड़ा संकट टल गया। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फ...