रांची, नवम्बर 27 -- रांची, प्रमुख संवाददाता। जैन मुनि पूज्य सुतीर्थ सागर महाराज ने रांची प्रवास के क्रम में गुरुवार को कहा कि व्यक्ति उम्र से नहीं, बल्कि गुण से महान बनता है। उन्होंने जैन दर्शन के महत्वपूर्ण सिद्धांत 'कषाय' पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि ये कषाय आत्मा को जकड़ लेती हैं और उसे दुख देती हैं। जैन मुनि ने समझाया कि कषाय चार मुख्य विकार या नकारात्मक भावनाओं को संदर्भित करती हैं- क्रोध, मान (अहंकार), माया (छल) और लोभ (लालच)। ये चारों आत्मा के स्वाभाविक गुण, जैसे शांति और ज्ञान, को दूषित करते हैं। जैन दर्शन के अनुसार, आत्मा एक शुद्ध और चेतन तत्व है जिसका अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है। जब कोई व्यक्ति क्रोध, अहंकार, छल या लालच जैसी भावनाओं में उलझा रहता है, तो वह अच्छे या बुरे कर्म करता है। इन कर्मों के कारण नए कर्म बंधन आत्...