नई दिल्ली, जुलाई 10 -- बिहार में चुनाव से कुछ महीने पहले ही वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण किए जाने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने टाइमिंग को लेकर सवाल उठाया। बेंच ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण करने में कुछ भी गलत नहीं है। 2003 में भी ऐसा किया गया था, लेकिन मसला यह है कि इसे पहले क्यों नहीं किया गया। चुनाव से ठीक पहले यह प्रक्रिया क्यों की जा रही है। इस पर चुनाव आयोग के वकील ने जवाब दिया कि इसमें कुछ गलत नहीं है और समय-समय पर संशोधन होता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ मतदाता सूची में नामों को शामिल करने या हटाने के लिए उनका पुनरीक्षण आवश्यक होता है। यही नहीं उलटे सवालिया अंदाज में निर्वाचन आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने पूछा कि अगर चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची में संशोधन का अधिकार नहीं है तो फिर यह कौन करेगा? ...