नई दिल्ली, अगस्त 25 -- एन के सिंह,अध्यक्ष, 15वां वित्त आयोग लॉर्ड स्वराज पॉल का कुछ दिन पहले निधन हो गया। वह मेरे लिए हमेशा स्वराज ही रहे। उनसे मेरी पहली मुलाकात सन् 1967 में हुई थी। स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें और उनके बड़े भाई जीत पॉल को मेरे पिता से मिलवाया था। मेरे पिता उस समय वित्त सचिव थे। वास्तव में, यह एक ऐसे रिश्ते की शुरुआत थी, जो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा। मैं अक्सर खुद से पूछता हूं कि क्या स्वराज अपने नाम में निहित वायदे को पूरा कर पाए; औपनिवेशिक काल की विरासत में मिले कठोर कानूनों और नियमों की बेड़ियों से भारत को मुक्त करा पाए? दरअसल, जब वह पहली बार मेरे पिता से मिले थे, तब विदेशी मुद्रा विनियमन की सख्ती और प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई का सामना कर रहे थे। एफईआरए को खत्म करने और उसकी जगह एफईएमए लाने में 32 साल और ल...