हापुड़, मई 3 -- गढ़मुक्तेश्वर। राजा भगीरथ की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर भेजने की प्रार्थना स्वीकार की थी। जो स्वर्ग से सीधे धरते पर अवतरित न होकर सर्वप्रथम भगवान शिव की जटाओं में आई थीं, जहां से ज्येष्ठ दशहरा के दिन धरती पर अवतरण हुआ था। वैशाख शुक्ल सप्तमी का सनातन संस्कृति में अपना विशिष्ट धार्मिक महत्व माना जाता है, क्योंकि इसी दिन पतित पावनी मोक्ष दायिनी गंगा मैया स्वर्ग से अवतरित हुई थीं। इसी के चलते इस पावन दिन को गंगा मैया के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हुए विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। -भगवान शिव गंगा मैया को अपनी जटाओं में न लेते तो जल प्रलय होने पर समूची श्रृष्टि नष्ट हो जाती पौराणिक गंगा मंदिर के कुल पुरोहित पंडित संतोष कौशिक बताते हैं कि राजा भगीरथ द्वारा हजारों वर्षों तक घोर...