आगरा, अप्रैल 13 -- जब सृष्टि का निर्माण हुआ तब ईश्वर ने वेदों का ज्ञान ऋषियों को दिया, जो उन्होंने तपस्या और ध्यान के माध्यम से प्राप्त किया। विश्व की प्रथम पुस्तक ऋगवेद ही है। वर्तमान में मनुष्य वेदों के विषय में जानना तो चाहता है, लेकिन वह पढ़ना नहीं चाहता है। मनुष्य यदि वेद मार्ग पर चले तो उसके जीवन में कभी दुख नहीं आ सकते। ये कहना था रविवार को लोहामंडी रोड स्थित एक होटल में जिला आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से आयोजित आर्य समाज के 150वें स्थापना दिवस समारोह में एटा गुरुकुल से आये डॉ. वागीश आचार्य का। अजमेर से आये आचार्य श्रद्धानन्द शास्त्री ने कहा कि वेद को मानना ईश्वर की आज्ञा का पालन करना है। उनकी आज्ञा की पालना करना ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है। वेद ईश्वरीय वाणी हैं। वेदों में हमारे संपूर्ण जीवन का सार है। संयोजक मनोज खुराना ने भी जानकारी...